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बगत री बात / राजेन्द्र जोशी

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|संग्रह=कद आवैला खरूंट ! / राजेन्द्र जोशी
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<poem>
अबार बगत ठीक नीं है
आ कोरी कहावत नीं है
म्हारा माईत कैवता—
बो बगत ठीक नीं हो
म्हारा टाबर कैवै
अबार बगत भोत खराब है।

म्हारा बेली कैवै—
आवण आळो बगत
और ई खराब आवणो है।

नीं जाणूं अबार बगत किसो है
फकत बगत खराब कियां है
बगत तो आपरी गति सूं चालै।

हां, म्हैं कैवूं—
बारै आळो बगत ठीक नीं हुवैला
आपरै मांय आळै बगत नै देखो
बो थांनै देखसी
बगत खराब नीं हुवै
मांय सोचणै रो बगत देखणो पड़ै
देख्या, बगत अबार ठीक हुवैला।
</poem>
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