भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
अष्ठभुजी थी ब्रहमा की पुत्री, जिसनै करी सहायता चोरां की,
बालकनाथ होया ऐसा साधु, उन्है करी सवारी मोरां की,
ज्ञान पाणी मै म्य आग लगादे वेदों नै बताया, मनै खोल सभा म्य गाया ||
प्र.- बाप के ब्याह मैं बण्यां बिचौला, वो लडका कित तै आया,
कुबेर देव की हार होई, वो छिक्या नहीं भुखा ठाया,
अगस्त मुनि नै पिये समुन्द्र, टोह्या भी ना जल पाया,
दया कर बन्दे बेल धर्म की ला -या, मनै खोल सभा म्य गाया ||
प्र.- उस लडके का नाम बतादे, जो ना माता कै पेट पड़या,
पल मै गिरजा नै गणेश बनाया, गुरु जगदीश न्यू समझारया,
वा न्हा-धोकै शिव सेवा मै बैठी, शिव नै सुत का शीश उतारया,
ललित बुवाणी आले नै यो पूरा भेद सुणाया, मनै खोल सभा म्य गाया ||
</poem>
445
edits