भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

पद / 1 / चन्द्रकला

124 bytes added, 09:24, 19 सितम्बर 2018
{{KKCatPad}}
<poem>
चन्द्रकला बाई बूँदी के कवि और दीवान कविराज राव गुलाबसिंह की दासी की पुत्री थीं। स्वयं चन्द्रकलाजी ने अपना परिचय इस प्रकार दिया है:-एहो ब्रजराज कत बैठे हौ निकुंज माँहि,कीन्हों तुम मान ताकी सुधि कछु पाई है।बरस पंच-दस की बय मेरी।ताते वृषभानुजा सिंगार साजि नीकी भाँति,कवि गुलाब सखियाँ सयानी संग लेय सुखदाई है॥‘चन्द्रकला’ लाल अवलोको और मारग की हूँ मैं चेरी॥,बालहिं ते कविभारी भय-संगति पाई।दायिनी अपार भीर छाई है।ताते तुम जोरन मोहिं आई॥रावरो गुमान अति बल अति भट मानि,जोबन को फौज लैके मारिबे को धाई है॥
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader, प्रबंधक
35,132
edits