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राहुल ने तब तजा अनिश्चय.... जब तक सूरज चान्द रहेगा
नई रोशनी की गूँजी जय.... यह न कभी भी मान्द रहेगा
बीच बीच में नई रौशनी रोशनी के आए दीगर सौदागर
लेकिन इस अन्धियारे को ही वे कर गए दुबारा दूभर
हर दफ़ा इसी कुनबे से गरचे है नई रोशनी सारी