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{{KKRachna
|रचनाकार=रामेश्वर नाथ मिश्र 'अनुरोध'
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
आरक्षण इस देश की सबसे भारी भूल ।
यह आपस की एकता को काटता समूल ।।
आरक्षण अभिशाप है, आरक्षण है आग ।
दंगों से भी है बुरा, संविधान पर दाग ।।
दावानल - जैसी सखे! आरक्षण की आग ।
आपस के सौहार्द को डसने वाला नाग ।।
यह लालच का रास्ता, महाफूट का बीज ।
यह अक्षमता की सनद,महाअपावन चीज ।।
यह अविनय की अकड़ है, अड़ियलपन है,ऐंठ।
यह अक्षम की धाँधली , सत्ता में घुसपैठ ।
</poem>
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आरक्षण इस देश की सबसे भारी भूल ।
यह आपस की एकता को काटता समूल ।।
आरक्षण अभिशाप है, आरक्षण है आग ।
दंगों से भी है बुरा, संविधान पर दाग ।।
दावानल - जैसी सखे! आरक्षण की आग ।
आपस के सौहार्द को डसने वाला नाग ।।
यह लालच का रास्ता, महाफूट का बीज ।
यह अक्षमता की सनद,महाअपावन चीज ।।
यह अविनय की अकड़ है, अड़ियलपन है,ऐंठ।
यह अक्षम की धाँधली , सत्ता में घुसपैठ ।
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