भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

बिरसो / विश्वासी एक्का

No change in size, 09:54, 19 मई 2019
कितनी ख़ुश थी आजी
जब मैनें पूछा था
कान के छिद्रों में अपनी कानी उंगली उँगली घुसाते हुए —
आजी ! आप पाँच-पाँच बालियाँ पहनती थीं कानों में ?
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,693
edits