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गाय को तुमने माँ कहा रात दिन मार खायें पत्थर को देवता उससे अच्छा है हम अपनी सेना बनाएं नदियों में ले जाकर उड़ेल दी सारी आस्थापर्वतों की ऊँची चोटी को फेल हो गई व्यवस्था तुमने आराध्य हद तक बढ़ गई दुर्दशा आंत की तरह पूजारोटी छीनी बहते हुए पानी में तुम्हें देवत्व नजर आया जात बताई कमीनी गर्मियों में सूख जाने वाली दूब को आओ कंधे से कंधा जोड़ लेंतुमने पूज्य बनाया बारूदों की ओर मुख मोड़ लें तुमने कौवे का ग्रास निकाला चीटियों के रास्ते में आटा डाला युवजन! तुम्हारी जवानियाँ प्रतिदान मांगती हैं सूरज को जातवेदाः कहा बलिदान मांगती हैं, कुलदान मांगती हैं दसों दिशाओं से जोड़ा हाथश्रमशील हंसिये उठो, हहा तुम्हारा समय आ गया बरगदकुदालियाँ उठो, पीपल और बड़तुम्हारा समय आ गयातुमने चुना अपनी समिधाओं के लिए तुलसी का चौरा तुमने ही बनाया वट सावित्री महिलाओं देश के लिए गद्दारों ने मुँह उठाया है तुमने जीवितों घास की क्या भूतों की भी पूजा की रोटी खाने वालों ने हमको चिढ़ाया है पत्थर तुम्हारे लिए अहिल्या हुई तुमने जौ और अन्नकूट तिल को बना दिया हवन तुमने पानी को जल कहा जल को कहा आचमन तुम्हारी हर ऋचा कहलाई ‘साम ऋचा’प्रकृति पूजकों में तुम्हारा नाम सबसे ऊपर हुआमिट्टी के शेरों पर क्या हुआ ?मूत दो तुमने अपने मुगलों से दिखने वाले मनुष्यों के लिए ताकत लो, सूत दो चुना इतना क्रूर पथ ?तुमने उन्हें पानी जैसी मूलभूत चीज रोज-रोज मार खाने से वंचित कर दिया अच्छा है एक रोज मर जाना क्यों नहीं पसीजा तुम्हारा ह्रदय तुमने उनके लिए षड्यंत्र ही किया आजीवन उनका भाग खाते रहे झुलसाते रहे उनका जीवन तमाम जिंदगियाँ गुजार टिम-टिम जलने से अच्छा है भभक कर जल जाना तुमने अपनी गंदगी नहीं साफ़ की पशु ही बने रहे आओ, सैनिक छावनी में डेरा लगायें चलती रही तुम्हारे बाप अन्यायी अत्याचारी के गढ़ में बारूदों की तरह बिछ जाएँ तुमने पशुता की सारी हदें पार कर दी अबकी बार तुमने उन्हें केन बमों में आग है मनुष्य का दर्जा देने से मना कर दियाकितना दर्द दिया तुम देवता की खोल सुतली बमों में ‘देवता’ तो बने नहीं आग है दानवों से भी नीचे गिर गए जो आग है तुम्हारे भीतर उसको जलाएं पाताल की किसी घृणित कन्दरा में फिर गएआओ, फिर गएपाखण्डी !!!!!!!!हम अपनी ताकत बन जाएँ
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