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Kavita Kosh से
माया है यहाँ न कोई और न कोई भेदभाव, सबमे विवेक मानो सहज समाया है
आई है छब्बीस जनवरी |।
हो उत्फुल्ल दिशाएँ घहरी
यह भारत राष्ट्रीय पर्व है