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|रचनाकार=कुमार विकल
|संग्रह= एक छोटी-सी लड़ाई / कुमार विकल
}} मैं कृष्ण की तरह झूठ नहीं बोलूँगाबोलूंगा
कि हर मोर्चे पर मैं लड़ रहा हूँ
किंतु यह सच है—
कि इस समय,सायरन बजने के बाद
जब चारों तरफ़ घुप्प अँधेरा अंधेरा है
मैं एक ऐसी लड़ाई लड़ रहा हूँ
जो हर युद्ध के समानांतर लड़ी जाती है. है।
इस बार कौरव —पाँडव कौरव—पांडव का युद्ध चार दिन पहले ही ख़त्म हो गया
बी.बी.सी. का एनाउंसर रत्नाकर भारती घोषणा करता है
और जी. बी. रोड के एक मकान की सीढ़ियाँ उतरते हुए
नरेन्द्र धीर कहता है:
दरअसल ब्लैकआउट—
आदमी की आदिम अँधेरों अंधेरों की ओर लौटने की
आकांक्षा का एक उपकरण है. है।
वह औरत हिंदू थी या मुसलमान.मुसलमान।
इस आदिम अँधेरे अंधेरे में
कोई औरत नहीं
मादा या नर
चाहे वह जी.बी.रोड की रानी है
या राजमहल की
रज़िया सुलतान
या मोर्चे पर लड़ रहा कोई फौजी जवान. जवान।
“इस आदिम अँधेरे अंधेरे में
अगर कुछ मानवीय है
भय के एक सूत्र में बंधे हुए
इस पहचान के लिए
इस अँधेरे अंधेरे का मैं एक मुद्दत से इंतज़ार कर रहा था
और इस पहचान के बाद मेरे लिए कहीं कुछ नहीं
या किसी सूख गए झरने के मुहाने पर बैठा
पानी का इंतज़ार कर रहा होगा. होगा।
दोनों निरर्थक हैं
मेरे पीछे भी अँधेरा अंधेरा है
मेरे आगे भी अँधेरा अंधेरा है
और सिर्फ़ इसी समय
इन सीढ़ियों पर
मेरे चारों तरफ़ रोशनी का एक छोटा—सा घेरा है.है।
मैं इस रोशनी में और गहरा उतरूँगाउतरूंगा
छूट जाऊँगा—जाऊंगा—
अश्वत्थामा की अर्ध—पाश्विक
और अर्द्ध—मानवीय चीख़ों से.से।
अश्वत्थामा—
जब पाण्डव विजय—पर्व मना रहे हैं
तो वे शहर के सबसे बड़े हस्पताल के सामने खड़े हैं.हैं।
उन्हें बताया गया है
कि उनके घावों का उपचार
देश के किसी हस्पताल के पास नहीं.नहीं।
जिसको पाने की ख़ातिर
वह इस बार पाण्डवों की ओर से लड़े हैं
सरकारी ख़ज़ाने में बंद हैं.हैं।
अश्वत्थामा लड़ाई जीतने के बाद भी हारा है
पाण्डवों ने एक बार फिर
उसे अर्ध—सत्य से मारा है. है।
वह अर्द्ध—सत्य क्या है?
और आंतरिक सुरक्षा के कानून से इतना डर गए हो
कि अब तुम यहाँ से भागना चाहोगे.चाहोगे।
तुम जाओ
कि किसी दिन तुम उस दुनिया में पहुँच जाओगे
जहाँ रोशनी के बिंब तुम्हारा इंतज़ार कर रहे होंगे.होंगे।
हाँ,
इस शताब्दी का एक संत
उसका इंतज़ार कर रहा है.है।
मेरे पास अश्वत्थामा के घावों का उपचार है,”
और कहते हैं
कि आंतरिक सुरक्षा के कानून के अंतर्गत
लोगों और चीज़ों के नाम बदल जाते हैं.हैं।
अर्ध—सत्य से जीती हुई लड़ाई का यह तकाज़ा है
आदमी लोगों और चीज़ों के नाम बदल डाले
या गुरिल्ला -दस्तों के साथ जंगलों और पहाड़ों में भाग जाए.जाए।