भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

हाइकु / जगदीश व्योम

118 bytes added, 05:44, 13 अक्टूबर 2019
<poem>
बादल रोयाउगने लगेधरती भी उमगीकंकरीट के वनउदास मन।  छिड़ा जो युद्धरोयेगी मानवताहँसेंगे गिद्ध।फसल उगी।
</poem>