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यादें / लावण्या शाह

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आसमान पर कितने तारे!<br>
कितनी परियाँ रोज उतरतीँ,<br>
मेरे सप्नोँ सपनोँ मेँ आ आ कर मिलतीँ.<br>
" क्या भूलूँ, क्या याद करूँ ? "<br>
मेरे घर को या अपने बचपन को ?<br>
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