भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

नव-पथ-राही / महेन्द्र भटनागर

1,071 bytes added, 18:30, 28 अगस्त 2008
New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=महेन्द्र भटनागर |संग्रह= विहान / महेन्द्र भटनागर }} <poem> ह...
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=महेन्द्र भटनागर
|संग्रह= विहान / महेन्द्र भटनागर
}}
<poem>

हम नव-जीवन-पथ के राही!

नयी व्यवस्था के संचालक, उन्मुक्त नये युग के मानव,
बहता निर्मल रक्त नसों में, हममें नव-गति,साहस अभिनव!

अंतिम पल तक संघर्ष अथक, अपराजित-बल, अक्षय-वैभव,
हम निर्भय, मानव-उद्बोधक, राग सुनाते हैं, युग-भैरव,

करते ध्वस्त पुरातन, जर्जर जग में लाकर दुर्दम विप्लव,
शीश हथेली पर रखकर हम बढ़ने वाले निडर सिपाही !
:: हम नव-जीवन-पथ के राही !
1945
Anonymous user