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जिसे ढूँढता है आदमी,
पर
नकार कर-वह सतत खोजता है
हर युग में हर समय
रिश्त...जो पैदा होते है नित-नये ढंग से
और
कितनी ही बार
पैदा होने से पहले ही।
स्नेह...
जो आवश्यक नहीं। अनुबंध भी नहीं
रिश्तों के साथ
असीमित है
वह रेल के सहयात्री से। पशुओं तक
सहज
पर फिर भी
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