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<poem>
आजकल त ज़माना बा राउर
गाँव संउसे दीवाना बा राउर

खेत-खरिहान खोरी बगइचा
अब त सगरे सिवाना बा राउर

बेवफाई प नइखी चीहाईल
ई त आदत पुराना बा राउर

आँख काजर करे में खोदाइल
ई त रोवल बहाना बा राउर

पल में ' आसिफ' के फांसी झूला दीं
कोट-इजलास, थाना बा राउर
</poem>
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