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मत करो अलगाव / ओम नीरव

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ज्योति की तुम वर्तिका, हम स्नेह सिंचित स्राव!
जायँगेजाएँगे , ले जायँगे जाएँगे भारत
भँवर के पार,
चाहिए नन्हे पगों को
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