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{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार=रामधारी सिंह "दिनकर"|संग्रह=}}<poem>सीखो नित नूतन ज्ञान,नई परिभाषाएं,
जब आग लगे,गहरी समाधि में रम जाओ;
या सिर के बल हो खडे परिक्रमा में घूमो।