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Kavita Kosh से
गुब्बारा लाए बज्जी से, फुट्ट-फुट्ट हो गया फटाक
कब तक बैठा रहूँ फुलाकर मैं गुस्से में नाक
देखा तो रह गया अचानक मैं ओंचक्क-अवाक
एक बार , बस , एक बार फिर , मन की कर दो ना,पांच पाँच रुपये का नोट हथेली पर , बस , धर दो ना,पांच पाँच रुपये में हो जाएगी अपनी धूम-धमाक
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