भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
{{KKCatKavita}}
<poem>
प्यार का भी कोर्इ कोई कारण होता है?सुगंध सुगन्ध की भी कोर्इ कोई जड़ होती है?
सच का कोई हो ना हो
झूठ कभी बेमकसद नहीं होता!
तेरे नीले पहाड़ों के कारण नहीं
न नीले जल के लियेलिए
यदि ये बूढ़ी माँ के बालों जैसे
गहरे रंगे भी होते
तब भी मैं तुझको प्यार करता
इन दौलतों के खजाने
मेरे लिये लिए तो नहीं
प्यार का कोर्इ कोई कारण नहीं होता
झूठ कभी बेमकसद नहीं होता
खजानों के सांप साँप तेरे गीत गाते हैंतुझे सोने की चिड़िया कहते हैं.
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
54,232
edits