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<poem>
- दोहा -
सुरसत गुणपत सांगियां , समरूं ईश सदाय।
वरसाळो विरदावतां , उर विच ज्ञान उपाय।।
- छंद-त्रिभंगी -
चैतर वैशाखां,वाजै जांखां , तरवर शाखां, तरसावै।
तन ताप तपावै ,लू लपकावै ,जैठ जळावै ,जरकावै।
आसाड़ज आवै ,कांठळ ल्यावै, जळ बरसावै ,जबराळो।
रितुवां रूपाळो, रंग रंगाळो ,विरखा वाळो , वरसाळो।
जीय वा वा वाल्हो, वरसाळो।।1।।
घनघोर बजावै ,धरा धुजावै ,गिरी गुंजावै, गमकावै।
नभ नीर नखावै,खैण खवावै, चपला छावै, चमकावै
छांटां छमकावै, धरा धपावै ,काळ कटावै, कटकाळो।
रितुवां रूपाळो ,रंग रंगाळो , विरखा वाळो, वरसाळो।।
जीय वा वा वाल्हो ,वरसाळो।।2।।
आभो उलटावै ,आड़ंग आवै ,घोर मचावै,घमकावै।
मेघा मंगावै, साद सुणावै, झड़ी लगावै, झमकावै।
पावस पसरावै, सखी सरावै, पीव बुलावै ,प्रीताळो।
रितुवां रूपाळो ,रंग रंगाळो ,विरखा वाळो, वरसाळो।।
वा वा वाल्हो , वरसाळो।।3।।
तृपत तालरिया दरसै दरिया डक डेडरिया डरड़ावै।
टोळी टाबरिया धोरां धरिया ठावै घरिया ठरड़ावै।
मुळकै मगरिया,नाडा भरिया, तिबला तरिया,तरणाळो।
रितुवां रूपाळो ,रंग रंगाळो ,विरखा वाळो, वरसाळो।।
जीय वा वा वाल्हो , वरसाळो।।4।।
गऊवां रा जाया ,करसां भाया ,खेत खड़ाया,खळकाया।
ललकारै लाया, फूं फणकाया, हाथ फिराया, हळवाया।
हाकल हलकाया ,वधै सवाया ,आद्रा आया, उजवाळो ।
रितुवां रूपाळो , रंग रंगाळो , विरखा वाळो, वरसाळो।।
जीय वा वा वाल्हो , वरसाळो।।5।।
ढेलड़ियां ढुरकै ,काग करूकै, मोर टहूकै , मनभावै।
झब बीज झबूकै ,हिरण बटूकै, टूंकै टूंकै ,टमकावै।
सरवरिया छलकै, मेघ मचलकै, झरझर खळकै ,झरणाळो।
रितुवां रूपाळो ,रंग रंगाळो, विरखा वाळो, वरसाळो।।
जीय वा वा वाल्हो, वरसाळो।।6।।
सावण सरसायो, थिर सुख थायो ,जन हरसायो ,जग भायो।
तीजणियां तायो, गीतां गायो ,हींड हिंडायो, हुलरायो ।
सिणगार सजायो, कोड करायो,निरत रचायो,नखराळो।
रितुवां रूपाळो, रंग रंगाळो, विरखा वाळो वरसाळो ।
जीय वा वा वाल्हो , वरसाळो ।।7।।
गोधा ताडूके, रासभ भूंकै, झोट रिड़ूकै ,झरड़ावै।
धेनां रंभावै, हय हणणावै ,ऊंट खिजावै, अरड़ावै।
बकरियां बलकै, भेड़ां भणकै, ग्वाड़ गणकै, गेंतुळो।
रितुवां रूपाळो ,रंग रंगाळो, विरखा वाळो , वरसाळो।
जीय वा वा वाल्हो वरसाळो।।8।।
लाहां लाबीड़ा, उठे हबीड़ा, झाल झफीड़ा , झणकावै।
भणतां रा भीड़ा,धरा धमीड़ा,रस मोरीड़ा,रणकावै।
डकडाक डमरचो, हाक हमरचो,भल राणलचो,भणकाळो।
रितुवां रूपाळो, रंग रंगाळो , विरखा वाळो, वरसाळो।
जीय वा वा वाल्हो ,वरसाळो।।9।।
मीठा मतीरा, चींभड़ चीरा ,मन मरजीरा, मळकावै।
हद उपजे हीरा, खेत खळीरा, रंग कातीरा ,रळकावै।
दीवाळी आवै, दीप जळावै ,मन मुस्कावै, मतवाळो।
रितुवां रूपाळो ,रंग रंगाळो, विरखा वाळो वरसाळो ।
जीय वा वा वाल्हो , वरसाळो।।10।।
इन्दर भल आवै, काळ कटावै, थाट जमावै,थरपावै।
आवड़ उकलावै, 'दीप' सुणावै, छंद छपावै, छरकावै।
मरूधर महकावै , मौज मनावै , हियो ठरावै हेमाळो।
रितुवां रूपाळो, रंग रंगाळो ,विरखा वाळो वरसाळो ।
जीय वा वा वाल्हो , वरसाळो।।11।।
- दोहा -
वालो घण वरसाळवो, ओ ही जग आधार।
देवी वरणे 'दीपियो', इण बिन घोर अंँधार।।
</poem>
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<poem>
- दोहा -
सुरसत गुणपत सांगियां , समरूं ईश सदाय।
वरसाळो विरदावतां , उर विच ज्ञान उपाय।।
- छंद-त्रिभंगी -
चैतर वैशाखां,वाजै जांखां , तरवर शाखां, तरसावै।
तन ताप तपावै ,लू लपकावै ,जैठ जळावै ,जरकावै।
आसाड़ज आवै ,कांठळ ल्यावै, जळ बरसावै ,जबराळो।
रितुवां रूपाळो, रंग रंगाळो ,विरखा वाळो , वरसाळो।
जीय वा वा वाल्हो, वरसाळो।।1।।
घनघोर बजावै ,धरा धुजावै ,गिरी गुंजावै, गमकावै।
नभ नीर नखावै,खैण खवावै, चपला छावै, चमकावै
छांटां छमकावै, धरा धपावै ,काळ कटावै, कटकाळो।
रितुवां रूपाळो ,रंग रंगाळो , विरखा वाळो, वरसाळो।।
जीय वा वा वाल्हो ,वरसाळो।।2।।
आभो उलटावै ,आड़ंग आवै ,घोर मचावै,घमकावै।
मेघा मंगावै, साद सुणावै, झड़ी लगावै, झमकावै।
पावस पसरावै, सखी सरावै, पीव बुलावै ,प्रीताळो।
रितुवां रूपाळो ,रंग रंगाळो ,विरखा वाळो, वरसाळो।।
वा वा वाल्हो , वरसाळो।।3।।
तृपत तालरिया दरसै दरिया डक डेडरिया डरड़ावै।
टोळी टाबरिया धोरां धरिया ठावै घरिया ठरड़ावै।
मुळकै मगरिया,नाडा भरिया, तिबला तरिया,तरणाळो।
रितुवां रूपाळो ,रंग रंगाळो ,विरखा वाळो, वरसाळो।।
जीय वा वा वाल्हो , वरसाळो।।4।।
गऊवां रा जाया ,करसां भाया ,खेत खड़ाया,खळकाया।
ललकारै लाया, फूं फणकाया, हाथ फिराया, हळवाया।
हाकल हलकाया ,वधै सवाया ,आद्रा आया, उजवाळो ।
रितुवां रूपाळो , रंग रंगाळो , विरखा वाळो, वरसाळो।।
जीय वा वा वाल्हो , वरसाळो।।5।।
ढेलड़ियां ढुरकै ,काग करूकै, मोर टहूकै , मनभावै।
झब बीज झबूकै ,हिरण बटूकै, टूंकै टूंकै ,टमकावै।
सरवरिया छलकै, मेघ मचलकै, झरझर खळकै ,झरणाळो।
रितुवां रूपाळो ,रंग रंगाळो, विरखा वाळो, वरसाळो।।
जीय वा वा वाल्हो, वरसाळो।।6।।
सावण सरसायो, थिर सुख थायो ,जन हरसायो ,जग भायो।
तीजणियां तायो, गीतां गायो ,हींड हिंडायो, हुलरायो ।
सिणगार सजायो, कोड करायो,निरत रचायो,नखराळो।
रितुवां रूपाळो, रंग रंगाळो, विरखा वाळो वरसाळो ।
जीय वा वा वाल्हो , वरसाळो ।।7।।
गोधा ताडूके, रासभ भूंकै, झोट रिड़ूकै ,झरड़ावै।
धेनां रंभावै, हय हणणावै ,ऊंट खिजावै, अरड़ावै।
बकरियां बलकै, भेड़ां भणकै, ग्वाड़ गणकै, गेंतुळो।
रितुवां रूपाळो ,रंग रंगाळो, विरखा वाळो , वरसाळो।
जीय वा वा वाल्हो वरसाळो।।8।।
लाहां लाबीड़ा, उठे हबीड़ा, झाल झफीड़ा , झणकावै।
भणतां रा भीड़ा,धरा धमीड़ा,रस मोरीड़ा,रणकावै।
डकडाक डमरचो, हाक हमरचो,भल राणलचो,भणकाळो।
रितुवां रूपाळो, रंग रंगाळो , विरखा वाळो, वरसाळो।
जीय वा वा वाल्हो ,वरसाळो।।9।।
मीठा मतीरा, चींभड़ चीरा ,मन मरजीरा, मळकावै।
हद उपजे हीरा, खेत खळीरा, रंग कातीरा ,रळकावै।
दीवाळी आवै, दीप जळावै ,मन मुस्कावै, मतवाळो।
रितुवां रूपाळो ,रंग रंगाळो, विरखा वाळो वरसाळो ।
जीय वा वा वाल्हो , वरसाळो।।10।।
इन्दर भल आवै, काळ कटावै, थाट जमावै,थरपावै।
आवड़ उकलावै, 'दीप' सुणावै, छंद छपावै, छरकावै।
मरूधर महकावै , मौज मनावै , हियो ठरावै हेमाळो।
रितुवां रूपाळो, रंग रंगाळो ,विरखा वाळो वरसाळो ।
जीय वा वा वाल्हो , वरसाळो।।11।।
- दोहा -
वालो घण वरसाळवो, ओ ही जग आधार।
देवी वरणे 'दीपियो', इण बिन घोर अंँधार।।
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