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|संग्रह=आँखों भर आकाश / निदा फ़ाज़ली
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(एक वियतनामी जोड़े की तस्वीर देखकर)
आओ हम-तुम
इस सुलगती खामुशी में
रास्ते की
सहमी-सहमी तीरगी में
अपने बाजू, अपनी सीने, अपनी आँखें
फड़फड़ाते होंठ
चलती-फिरती टाँगें
चाँद के अन्धे गढ़े में छोड़ जाएँ