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ये घेरे है क्यों, रोने वालों की टोली
ख़ुदारा सुनाओ न मन्हूस बोली
भला कौन मारेग मारेगा बापू को गोली
कोई बाप के ख़ूं से, खेलेगा होली?
अबस, मादर-ए-हिन्द, शरमा गई है
अभी उठके खुद वो, बिठायेगा सबको
लतीफ़े सुनाकर, हंसायेगा सबको
सियासत के नुक़्ते नुस्ख़े बतायेगा सबको
नई रोशनी दिखायेगा सबको
दिलों पर सियाही सी क्यों छा गई है?
वो उपवास वाला, वो उपकार वाला
वो आदर्श वाला , वो आधार वाला
वो अख़लाक़ वाला, वो किरदार वाला
वो मांझी, अहिन्सा की पतवार वाला
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