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माँ-बेटियाँ और पिता / रूपम मिश्र
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15:33, 3 नवम्बर 2020
औरतों से कम बात करने वाले, परम्परा की दुहाई देने वाले
बेटियाँ जब एकाध भीगे सावन में लौटीं तो दुपहिया -तिजहरिया आँखें भी भीगती रहीं
बेटियों ने जब कहा कि नहीं उठा जाता इतना मुँहअन्धेरे,
नहीं भूखा रहा जाता सबके खाने तक, पीरियड आने पर नहीं होता इतना काम
अनिल जनविजय
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