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Kavita Kosh से
मरहम लगा लो आर्तों के चहराते हुए घाव को
मानव हो के हँसा लो यह ईश्वर का दिव्य मुहार को
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''इस कविता का मूल नेपाली-''
'''[[यात्री / लक्ष्मीप्रसाद देवकोटा]]'''
''यस कविताको मूल नेपाली-''
'''[[यात्री / लक्ष्मीप्रसाद देवकोटा]]'''
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