भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=शंकरलाल द्विवेदी |संग्रह= }} {{KKCatMuktak}}...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=शंकरलाल द्विवेदी
|संग्रह=
}}
{{KKCatMuktak}}
<poem>
उतर चुका जिन की आँखों से लाज-शर्म का पानी।
उन ग़द्दारों ने माँटी की क़ीमत कब-कब जानी।।
अच्छा हो यदि और अधिक वे स्वाँग नहीं भर पाएँ,
जागो भारतवासी! उन की मेंटो नाम-निशानी।।
</poem>
124
edits