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[[Category: ताँका]]
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21भरी हुई हैबादलों की चादरसलवटों सेबिछाकर इसकोचाँद तारे सोये हैं22राह देखतीखड़ी छलनी लिएव्रती नारियांहटा बादल ओटनियत में क्यों खोट।23विरही काटेचाँद की खुरपी लेसारी रतियाँतारों की फ़सल कोनींद नहीं अखियाँ।24रात आती हैचाँद का ख़ंजर लेक़त्ल करनेबैठ यादों की ओटबचाई जान मैंने।25आओगे तुमदिल को समझायाराहें निहारीकानों में पहन केआहटों का सागर।26ओढ़ निकलीकोहरे की चादरउनींदे नैनअलसाई सी भोरढूढ़ें धूप का कोर।28हरसिंगारहर शाम सँवरेभोर बिखरेबाँटने को ख़ुशबूबूँद-बूँद से झरे।29रूह को मेरीअब करार आयामिली रौशनीइबादत किरायाहर पल चुकाया। 30कैसे दिखतेहमको ये सितारेइतने प्यारेजो राह में तुम यूँअँधेरे न बिछाते।
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