भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
<poem>
शिशु लोरी के शब्द नहीं
संगीत समझता है,बाद में सीखेगा भाषाअभी वह अर्थ समझता है ।
समझता है सबकी भाषासभी के अल्ले ले ले ले,तुम्हारे वेद पुराण कुरानअभी वह व्यर्थ समझता है । अभी वह अर्थ समझता है । समझने में उसको, तुम होकितने असमर्थ, समझता हैबाद में सीखेगा भाषा।भाषाउसी से है, जो है आशा ।
</poem>