भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
{{KKCatHaiku}}
<poem>
1
उदास तरु
था पाखियों का डेरा
आज अकेला।
उदास्यूँ डाळु
छौ पग्छियों कु डेरु
आज यकुलि
2
चाँद ने छुआ
लहर उठ आई
भीगी लजाई।
जून न छुई
लैर उठ्ठी कैं ऐ गि
भिजे सरमै
3
साँझ बहाए
अँजुरी भर दर्द
निशा पी जाए।1
रूम्क बगौन्दि
अंजुळ भोरी पिड़ा
रात पी जान्दी
4
सूना आँगन
उड़ गए हैं पंछी
नीम अकेला।
 
सुन्न ह्वे चौक
उड़ि गैनी पगछी
नीम यकुलि
5
आहट बिन
नव पाहुन आया
खिली बगिया।
 
सबद बिना
नैयूँ पौणू ऐ ग्याई
खिली सग्वाड़ू
6
पात पुराने
कहें एक कहानी-
बीती जवानी!
 
पत्ता पुरणा
सुणौणा एक कत्था
बिति गे ज्वानी
7
सजा जुगनू
उलझी लटों पर
निशा दमकी।
 
सजी जोगींण
उलझे लटुल्यों माँ
रात चमकीं ।
8
झील-दर्पन
देख रही घटाएँ
केश फैलाएँ।
 
तालौ कु ऐनाँ
देखणि घटा इन
लटुली फुफ्तै
9
सर्द हवाएँ
गुम हुआ सूरज
आ मिल ढूँढें।
 
ठण्डी हवा छ
हर्च्युं च सुर्ज दा बि
औ मिलि ख्वजाँ
10
धुआँ दैत्य-सा
पसरा हर ओर
लीलता साँसें।
 
धुआँ दैंत सि
पसरि चौतरफा
खाणु च साँस
11
ओस की बूँद
बस इक प्यारा पल
यही जीवन।
 
ओंसै कि बुन्द
दा एक प्यारी घड़ी
यु ई च ज्यूँण
12
देख दर्पण
आक्रांत हुआ मन
बीता यौवन।
 
देखि कि ऐंनाँ
बिचैन ह्वे गे मन
बिति गे ज्वानी
-0-
</poem>