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Kavita Kosh से
/* कुछ प्रतिनिधि रचनाएँ */
* [[दोष देते रहे बे-कार ही तुग़्यानी को / अज़हर फ़राग़]]
* [[रात की आग़ोश से मानूस इतने हो गए / अज़हर फ़राग़]]
* [[ कमी है कौन सी घर में दिखाने लग गए हैं / अज़हर फ़राग़]]