भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

तेरा मिलन / हरदीप कौर सन्धु

936 bytes added, 18:08, 27 सितम्बर 2021
[[Category:चोका]]
<poem>
तेरा मिलनसुना जाता है मुझेहर पल हीअनकहा -सा दर्दबहता रहाजो तेरी अँखियों सेनिचौड़ी गईअधूरे अरमानकठिन राहअब कहाँ से लाऊँपीर खींचती कोई जादुई दवाधीरे -धीरे सेतेरे खुले ज़ख्मों पेरखने को मैंउठी बिरहा -हूकबेनूर हुई लबों पे आ लौटतीकाँटों चुभतीतीखी -सी टीस नेहौले -हौले हीसमय की तल पेयूँ फ़ाहे रखखुद ही हैं भरने तेरे दिल के अकथ औ असह्य गहरे दर्द- ज़ख्म !
</poem>