भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
भारी जालों कोमल फन्दों का
दुहरा देना नाम कठिन है
इससे तो आसान उठा लेना पत्थर है .........
और प्यार ने आहिस्ता से
भारी और कोमल गुलाब ले
कोमलता और भारीपन को दुहरी माला में गूँथा है
</poem>