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चाँदनी की पाँच परतें,
एक थल में,
एक नीलाकाश में ।
 
एक आँखों में तुम्हारे झिलमिलाती,
एक मेरे बन रहे विश्वास में ।
 
क्या कहूँ , कैसे कहूँ.....
कितनी ज़रा सी बात है ।
 
चाँदनी की पाँच परतें,
हर परत अज्ञात है ।
क्यों सहूँ, कब तक सहूँ....
कितना कठिन आघात है ।
 
चाँदनी की पाँच परतें,
हर परत अज्ञात है ।
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