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चंद्रसखी
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|चित्र=
|नाम=चंद्रसखी
|उपनाम=
|जन्म=विक्रम संवत की 16 वीं सदी का उत्तरार्ध
|जन्मस्थान=राजस्थान
|मृत्यु=
|कृतियाँ=चन्द्रसखी रा भजन (1950), चन्द्रसखी और उनका काव्य
|विविध=कृष्ण की सगुण भक्ति शाखा की कवि, जो कृष्ण भजन बनाकर गाती थीं। इन पदों को उनकी ही रचनाएँ माना जाता है। ये भी हो सकता है कि ’सखी सम्प्रदाय’ के किसी कवि ने अपना उपनाम ’चन्द्रसखी’ रख लिया हो। प्रेमाधिक्य में किसी कवि ने ख़ुद को राधा की प्रिय सखी चन्द्रसखी मान लिया होगा। राजस्थान में चन्द्रसखी के भजनों को मीरा के भजनों से ऊँचा स्थान प्राप्त है। हालाँकि उत से लोगों का मानना है कि चन्द्रसखी के नाम से जो भजन मिलते हैं, वे मीरा के ही पद हैं। दोनों कवियों के न केवल विचार मिलते हैं, बल्कि शब्दावली में भी बहुत समानता है।
|जीवनी=[[चंद्रसखी / परिचय]]
|अंग्रेज़ीनाम=
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}}
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====कुछ प्रतिनिधि रचनाएँ====
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|विविध=कृष्ण की सगुण भक्ति शाखा की कवि, जो कृष्ण भजन बनाकर गाती थीं। इन पदों को उनकी ही रचनाएँ माना जाता है। ये भी हो सकता है कि ’सखी सम्प्रदाय’ के किसी कवि ने अपना उपनाम ’चन्द्रसखी’ रख लिया हो। प्रेमाधिक्य में किसी कवि ने ख़ुद को राधा की प्रिय सखी चन्द्रसखी मान लिया होगा। राजस्थान में चन्द्रसखी के भजनों को मीरा के भजनों से ऊँचा स्थान प्राप्त है। हालाँकि उत से लोगों का मानना है कि चन्द्रसखी के नाम से जो भजन मिलते हैं, वे मीरा के ही पद हैं। दोनों कवियों के न केवल विचार मिलते हैं, बल्कि शब्दावली में भी बहुत समानता है।
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====कुछ प्रतिनिधि रचनाएँ====