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{{KKRachna
|रचनाकार= नीलमणि फूकन
|अनुवादक= दिनकर कुमार
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
स्फटिक के एक टुकड़े पर
उकेर लिया तुम्हें
दबिता या तुम भग्नी
रोशनी ख़त्म हो जाने के बाद भी
तुम्हें देख पाऊँगा
तुम्हारे नहीं रहने के बाद भी
नेत्रहीन भी सीने में देख पाऐगा
पृथ्वी के प्रथम दिन का सूर्य
नित्य मंजरित तुम पुलक
चीत्कार
मत्त धवलता
ईषदुष्ण रात की वेदी पर
एक अंजुली
प्यास
नेफ़ार्सिसी
प्रियतमा सुन्दरीतमा है ।
'''मूल असमिया से अनुवाद : दिनकर कुमार'''
</poem>
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|रचनाकार= नीलमणि फूकन
|अनुवादक= दिनकर कुमार
|संग्रह=
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स्फटिक के एक टुकड़े पर
उकेर लिया तुम्हें
दबिता या तुम भग्नी
रोशनी ख़त्म हो जाने के बाद भी
तुम्हें देख पाऊँगा
तुम्हारे नहीं रहने के बाद भी
नेत्रहीन भी सीने में देख पाऐगा
पृथ्वी के प्रथम दिन का सूर्य
नित्य मंजरित तुम पुलक
चीत्कार
मत्त धवलता
ईषदुष्ण रात की वेदी पर
एक अंजुली
प्यास
नेफ़ार्सिसी
प्रियतमा सुन्दरीतमा है ।
'''मूल असमिया से अनुवाद : दिनकर कुमार'''
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