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Kavita Kosh से
बाबिय यार में कोई स्मारक नहीं है
वहाँ एक ऊँची ढलवाँ चट्टान खड़ी है
मुझे डर लग रहा है
मैं उतने ही बरस का हो गया हूँ
जितनी पुरानी हो चुकी है यहूदी क़ौम ।
अब मुझे लग रहा है —
यहूदी हूँ मैं भी ।