भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
दिल टूट चुका है बहुत भीतर से ...
तैरता जा रहा हूँ मैं दूर, बहुत दूर
अनदेखे शब्दों के पीछे, आज़ादी के शब्दों के पीछे ।  
जून 1858, फ़्लोरेंस
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,606
edits