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{{KKRachna
|रचनाकार=[[चंद्रप्रकाश देवल]]
|अनुवादक=
|संग्रह=उडीक पुरांण / चंद्रप्रकाश देवल
}}
{{KKCatKavita}}
{{KKCatRajasthaniRachna}}
<poem>
पिरसूं उडीक्यौ
उडीक आज करी
कालै ई उडीकूंला
पण औ उडीक रौ दुसरावणौ कोनीं
भलां ई व्हौ
वौ इज फळसौ
वौ इज आंगणौ
वौ रौ वौ बगत
कांईं ठाह
कीकर वा आपूंआप नवी व्हैजा।
दुसराय अपां की नीं सकां
नीं जूंण
नीं प्रीत
नीं सपनौ
नीं बात
मन घणौ ई कटै
जिणसूं कांईं व्है
बाळणजोगड़ौ औ पिछतावौ ई कोनी दुसराइजै!
</poem>
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|संग्रह=उडीक पुरांण / चंद्रप्रकाश देवल
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<poem>
पिरसूं उडीक्यौ
उडीक आज करी
कालै ई उडीकूंला
पण औ उडीक रौ दुसरावणौ कोनीं
भलां ई व्हौ
वौ इज फळसौ
वौ इज आंगणौ
वौ रौ वौ बगत
कांईं ठाह
कीकर वा आपूंआप नवी व्हैजा।
दुसराय अपां की नीं सकां
नीं जूंण
नीं प्रीत
नीं सपनौ
नीं बात
मन घणौ ई कटै
जिणसूं कांईं व्है
बाळणजोगड़ौ औ पिछतावौ ई कोनी दुसराइजै!
</poem>