भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

अगर ऐसा होता ... / शशिप्रकाश

2,046 bytes added, 07:35, 28 अगस्त 2022
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=शशिप्रकाश |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKavi...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=शशिप्रकाश
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
अगर प्यार को
आसानी से भाषा मिल जाती
अभिव्यक्ति के लिए,
और सौन्दर्य को उसकी वास्तविक पहचान,

अगर वसन्त को हमेशा
वांछित रंग मिल जाते,
अगर उदासी को राहत देने वाली
एक लम्बी सांस
आसानी से नसीब हो जाती,

अगर प्रतीक्षा को अपना
सहज अन्त मिल जाता,
अगर परिचय को तुरन्त
विश्वास मिल जाता,
अगर लहरों को बिन बुलाए
तूफ़ानी हवाएँ मिल जातीं
और पंखों को
बिना कठिन कोशिशों के आकाश,

और अगर विचार को
बिना मशक्क़त के
क्षितिज मिल जाता
तो फिर जीवन आकस्मिकता के सौन्दर्य से,
श्रम और संघर्ष के सौन्दर्य को
और असाध्यप्राय को साधने की विरल अनुभूति से
परिचित न हो पाता

और लोग एक ख़ूबसूरत भविष्य के बारे में,
ज़िन्दगी की तमाम ख़ूबसूरती और
तमाम ख़ूबसूरत चीज़ों के बारे में
उम्मीदों के साथ,
साहस और हठ के साथ
और हृदय की सारी कल्पनाशीलता के साथ
शायद ही सोच पाते !
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,690
edits