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|रचनाकार=शिरोमणि महतो
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
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<poem>
जिसका भाग्य साथ होता
उसके साथ लागू होता
न्यूटन का त्रृतीय गति सिद्धान्त
कर्म के बराबर मिलता फल
जिसका भाग्य मन्द होता
उसके कर्म का भी फल मिलता
जैसे एक कडाही साग
सीझने के बाद बचता एक कलछुल
और जिसका भाग्य तेज़ होता
उसका कर्म फल कई गुना अधिक होता
जैसे एक पैला चावल
खदककर हो जाता एक डेगची भात !
</poem>
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जिसका भाग्य साथ होता
उसके साथ लागू होता
न्यूटन का त्रृतीय गति सिद्धान्त
कर्म के बराबर मिलता फल
जिसका भाग्य मन्द होता
उसके कर्म का भी फल मिलता
जैसे एक कडाही साग
सीझने के बाद बचता एक कलछुल
और जिसका भाग्य तेज़ होता
उसका कर्म फल कई गुना अधिक होता
जैसे एक पैला चावल
खदककर हो जाता एक डेगची भात !
</poem>