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<Poem>
मैं ख़त्म करने की बात नहीं करता विदा लेने के पहलेकहना चाहता हूँ मुझे इस सिलसिले में कोई ग़लतफ़हमी नहीं है मैं कविता लिखते रहना चाहता था लेकिन प्रेरणा ख़त्म हो गई अपनी आख़िरी इच्छा कविता का बरताव ठीक-ठाक था मेरा ही चलन बिल्कुल बेकार था । यह कहने से क्या फ़ायदा कि मेरा बरताव ठीक था और कविता को ही तमीज़ नहीं थी जब सबको पता है कि ग़लती मेरी है ?
मूरख प्यारे पाठको !जला डालो इन पुस्तकों कोकि इनमें वह बिलकुल भी नहीं हैजो मैं कहना चाहता था । यद्यपि यह मेरे खून की क़िस्मत में यही रहता स्याही सेलिखी हुई है ! ,कविता का बरताव ठीक-ठाक फिर भी यह वह नहीं हैजो मैं कहना चाहता था मेरा क्या कोई मुझसे भी ज्यादा अभागा होगाजिसने अपनी परछाईं से ही चलन बिल्कुल बेकार था कविता मुँह की खाई ?मेरे शब्दों ने ही मुझसे बदला लिया । क्षमा करें प्यारे पाठक !अगर मैं आपसे गले लगकर विदान ले पाऊँ तो,मैं अपनी उदास मुस्कराहटों के साथ ख़त्म होती है विदा लेता हूँ ,शायद मैं ऐसा ही हूँ ; किन्तु मेरे आख़िरी शब्द याद रखेंकि मैं वह सब वापस लेता हूँजो मैंने कहा ,इस संसार में होने कीअपनी समस्त कड़वाहटों के साथमैं वह सब कुछ वापस लेता हूँजो मैंने अब तक कहा
'''अँग्रेज़ी से अनुवाद : अनिल अनलहातु'''
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