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{{KKRachna
|रचनाकार=जान दुबरोफ़ (जेहन्ने डरब्यू)
|अनुवादक= रति सक्सेना
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
हमने एश चिड़िया के बारे में सुना है
जो जून में चौपालों के ऊपर मण्डराती हैं,
पर उड़ान नहीं भरती, लेकिन किंकियाती हैं
इसकी पहचान है कटार सी चौंच
गले तक कीड़ों से भरी होती है
इसकी चीख़ नदी के
उस पार से आती है
यह खानाबदोशों की पसन्द है
जो क्स्टिल ग्लास नही रखते
पिता हृदयघात से मर से चुके थे
मुहरों से भरा मखमली बटुआ खो गया
बाररूम की बाते अफवाहें बन
सड़कों पर ख़ून बहने लगा
चीख़-पुकार के बाद हम
पेड़ के नीचे घिसटते आए
वृक्ष की छाया की छत्रछाया में
परों जैसे पत्तों के बीच दम घुटते हुए ।
'''अँग्रेज़ी से अनुवाद : रति सक्सेना'''
</poem>
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|रचनाकार=जान दुबरोफ़ (जेहन्ने डरब्यू)
|अनुवादक= रति सक्सेना
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हमने एश चिड़िया के बारे में सुना है
जो जून में चौपालों के ऊपर मण्डराती हैं,
पर उड़ान नहीं भरती, लेकिन किंकियाती हैं
इसकी पहचान है कटार सी चौंच
गले तक कीड़ों से भरी होती है
इसकी चीख़ नदी के
उस पार से आती है
यह खानाबदोशों की पसन्द है
जो क्स्टिल ग्लास नही रखते
पिता हृदयघात से मर से चुके थे
मुहरों से भरा मखमली बटुआ खो गया
बाररूम की बाते अफवाहें बन
सड़कों पर ख़ून बहने लगा
चीख़-पुकार के बाद हम
पेड़ के नीचे घिसटते आए
वृक्ष की छाया की छत्रछाया में
परों जैसे पत्तों के बीच दम घुटते हुए ।
'''अँग्रेज़ी से अनुवाद : रति सक्सेना'''
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