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12 जुलाई 1904 को चिली के पराल नामक क़स्बे में जन्मे पाब्लो नेरूदा का वास्तविक नाम '''रिकार्दो एलीएसेर नेफ़्ताली रेयेस बासोआल्तो''' था । उनके पिता रेलवे में काम करते थे । उनकी माता का देहान्त उनके जन्म के थोड़े ही दिनों में हो गया था। नेरूदा के पिता बाद में तेमूको चले आए, जहाँ उन्होंने दोन्या त्रिनीदाद कान्दीया मालवेर्दे से नया विवाह कर लिया ।
तेरह वर्ष की उम्र में उनकी पहली कविताएँ ’ला मान्याना’ नामक अख़बार में छपीं । छपीं। नेरूदा ने अपना पहला संग्रह ’ला कान्दीयोल दे ला फ़ियेस्ता’ (पर्वगीत) 1920 में छपाया । उनके स्कूल की प्रधानाचार्य गैब्रिएला मिस्त्राल (नोबेल पुरस्कार प्राप्त कवि) ने नेरूदा कीकाव्य-प्रैभा को पहचाना और तराशा । 1923 में उन्होंने ’क्रेपुस्कूलारियो’ नामक पुस्तिका जारी की और अगले ही साल ’बीस प्रेम कविताएँ और हताशा का एक गीत’ छप कर आई । इसके प्रकाशन ने उन्हें चिली और बाद में विश्व-कविता के सबसे लोकप्रिय कवियों में एक का दरजा हासिल कराया ।
1927 से 1935 के बीच बर्मा, सीलोन, जावा, सिंगापुर, ब्यूनस आयरेस, बार्सीलोना और मैड्रिड में बतौर राजनयिक कार्यरत रहे । इन दिनों उन्होंने ’रेसीदेन्सिया एन ला तियेर्रा’ का प्रकाशन किया ।
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