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{{KKRachna
|रचनाकार=शील
|अनुवादक=
|संग्रह=लाल पंखों वाली चिड़िया / शील
}}
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<poem>
प्रेतों से घिरी-घिरी —
यह दुनिया ।
अपराधों की बाढ़ में,
कब से ...
किस-किस का बोझ,
किस-किस का पश्चात्ताप —
ढो रही है ।
प्रेतों से घिरी-घिरी —
यह दुनिया ।
—
31 दिसम्बर 1987
</poem>
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प्रेतों से घिरी-घिरी —
यह दुनिया ।
अपराधों की बाढ़ में,
कब से ...
किस-किस का बोझ,
किस-किस का पश्चात्ताप —
ढो रही है ।
प्रेतों से घिरी-घिरी —
यह दुनिया ।
—
31 दिसम्बर 1987
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