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पहिचान / शील

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|संग्रह=लाल पंखों वाली चिड़िया / शील
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<poem>
आदमी घोड़ा नहीं,
घोड़ा समय है ।
शक्ति से लगाम थामो,
सवार होकर निकलो,
इक्कीसवीं सदी का सुर्ख़ सवेरा —
नई सदी का सन्देश देगा ।

तारों की चाल,
मौसमों की पहिचान —
्सभी पशु-पक्षी जानते हैं ।

और तुम आदमी हो —
घोड़ा नहीं ।

1989
</poem>
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