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{{KKRachna
|रचनाकार=कुमार कृष्ण
|अनुवादक=
|संग्रह=धरती पर अमर बेल / कुमार कृष्ण
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
शब्द पहुँच गए एक दिन स्वर्ग-लोक
उन्होंने देखा-
देवताओं के भी हैं बड़े-बड़े राजा
धरती के राजाओं से क्रूर, अय्याश,
भ्रष्ट, दुराचारी
घबरा गए शब्द उनको देख कर
ढूँढ़ने लगे अपने लिए छुपने की जगह
ढूंढते रहे वे सुबह से शाम तक
लगातार
अंततः लौट आए धरती पर
परेशान थे शब्द बहुत परेशान
कितनी खतरनाक है किताबों के बिना
देवताओं की दुनिया।
</poem>
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|अनुवादक=
|संग्रह=धरती पर अमर बेल / कुमार कृष्ण
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शब्द पहुँच गए एक दिन स्वर्ग-लोक
उन्होंने देखा-
देवताओं के भी हैं बड़े-बड़े राजा
धरती के राजाओं से क्रूर, अय्याश,
भ्रष्ट, दुराचारी
घबरा गए शब्द उनको देख कर
ढूँढ़ने लगे अपने लिए छुपने की जगह
ढूंढते रहे वे सुबह से शाम तक
लगातार
अंततः लौट आए धरती पर
परेशान थे शब्द बहुत परेशान
कितनी खतरनाक है किताबों के बिना
देवताओं की दुनिया।
</poem>