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Kavita Kosh से
* [[वो समंदर है तो होने दीजिए / डी. एम. मिश्र]]
* [[आग जलाकर रक्खो मौसम नम ज़्यादा है / डी. एम. मिश्र]]
* [[भंवर भँवर में है कश्ती किनारे कहां कहाँ हैं / डी. एम. मिश्र]]
* [[ग़मज़दा आंखों का दो बूंद नीर कैसे बचे / डी. एम. मिश्र]]
* [[अंधों को भले लग रहा फ़स्लेबहार है / डी. एम. मिश्र]]