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श्री राघव हुए प्रणत मन्द स्वर वन्दन कर।
"होगी जय, होगी जय, हे पुरूषोत्तम पुरुषोत्तम नवीन।"
कह महाशक्ति राम के वदन में हुई लीन।
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