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अलफ़ैद ड्यो म्युसे

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|जन्मस्थान=पेरिस, फ़्रांस
|मृत्यु=02 मई 1857
|कृतियाँ=स्पेन और इटली की कहानियाँ (1829, पहला कविता-संग्रह) सदी के एक बच्चे की ग्लानि (आत्मकथात्मक उपन्यास),|विविध= फ़्रांसीसी कवि, नाटककार और उपन्यासकार। कुलीन वर्ग के होते हुए भी ग़रीबी में जीवन बीता। रूसी लेखक अनतोन च्येख़फ़ की तरह बचपन से ही नाटकों में रुचि। फ़्रांस के पहले भाववादी कवि और लेखक माने जाते हैं। फ़्रांसीसी भाषा में स्पेन और इटली की लोककथाएँ लिखीं। फ़्रांसीसी गृह-मन्त्रालय के पुस्तकालय में लाइब्रेरियन थे। विचारों से जर्मन-विरोधी और उदारवादी थे। इनके आत्मकथात्मक उपन्यास ’सदी के एक बच्चे की ग्लानि’ पर 1999 और 2012 में दो अलग-अलग फ़िल्में बन चुकी हैं। इन्हें ’गैमियानी’, दो अतिरिक्त रातें और समलैंगिक कामुक उपन्यासों का कथाकार भी माना जाता है। अपने दौर में अलफ़ैद ड्यो म्युसे पेरिस के वेश्यालयों की एक प्रसिद्ध हस्ती थे और अक्सर उन वेश्यालयों में देखे जाते थे।
|जीवनी=[[अलफ़ैद ड्यो म्युसे / परिचय]]
|अंग्रेज़ीनाम=Alfred de Musset
====कुछ प्रतिनिधि रचनाएँ====
* [[अगस्त की रात / अलफ़ैद ड्यो म्युसे / अनिल जनविजय]]
* [[सर्दियों की पहली कँपकँपी मुझे भली लगती है / अलफ़ैद ड्यो म्युसे / अनिल जनविजय]]
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