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Kavita Kosh से
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उड़कर नभ तक रेत जली।
तब मरु पर बरसी बदली।
वेग हुआ जब -जब ज्यादाज़्यादा,तब -तब हुई नदी छिछली।
देखी सोने की चिड़िया,
कोषों की तबियत मचली।