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|रचनाकार=राजेश अरोड़ा
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}}
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<poem>
फुटपाथ वाली चाय की दुकान की
कटिंग वाली चाय
चार दोस्त और दुनिया का ग़म
उसमें तुम का भी शामिल रहना
सुबह तक न ख़त्म होने वाली चर्चा
नाली के किनारे
उगे कैकटस के फूल में
जीवन की जिजीविषा ढूंढ़ना
वो भी दिन थे।
</poem>
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फुटपाथ वाली चाय की दुकान की
कटिंग वाली चाय
चार दोस्त और दुनिया का ग़म
उसमें तुम का भी शामिल रहना
सुबह तक न ख़त्म होने वाली चर्चा
नाली के किनारे
उगे कैकटस के फूल में
जीवन की जिजीविषा ढूंढ़ना
वो भी दिन थे।
</poem>