भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अष्टभुजा शुक्ल |अनुवादक= |संग्...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=अष्टभुजा शुक्ल
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
कल जो जो कहोगे
वो वो बना दूँगी
प्याज, लहसुन, नमक और हरी मिर्च मिलाकर
सेंक दूँगी खरी खरी गुदगर रोटी
मजूरी के बदले उस दिन
बडे़ बाबू ने जो
पुरानी नीली वाली कमीज दी थी
फींच दूँगी उसे लकालक
अपनी भूख में से
आधी भूख मुझे दे दो
मेरी खटिया में से
आधी खटिया ले लो
मेरी कथरी से
दो तिहाई कथरी चाहो तो
पूरी चादर ले लो
या ओढ़ लो
मेरी आधी साड़ी ही
जहाँ मन हो वहाँ
रख लो मेरे बदन पर
अपना हाथ
मेरी नींद में से
आधी नींद ले लो
लेकिन हाथ जोड़ती हूँ
बगल में सोए
बिट्टू की कसम
आज रहने दो
</poem>
{{KKRachna
|रचनाकार=अष्टभुजा शुक्ल
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
कल जो जो कहोगे
वो वो बना दूँगी
प्याज, लहसुन, नमक और हरी मिर्च मिलाकर
सेंक दूँगी खरी खरी गुदगर रोटी
मजूरी के बदले उस दिन
बडे़ बाबू ने जो
पुरानी नीली वाली कमीज दी थी
फींच दूँगी उसे लकालक
अपनी भूख में से
आधी भूख मुझे दे दो
मेरी खटिया में से
आधी खटिया ले लो
मेरी कथरी से
दो तिहाई कथरी चाहो तो
पूरी चादर ले लो
या ओढ़ लो
मेरी आधी साड़ी ही
जहाँ मन हो वहाँ
रख लो मेरे बदन पर
अपना हाथ
मेरी नींद में से
आधी नींद ले लो
लेकिन हाथ जोड़ती हूँ
बगल में सोए
बिट्टू की कसम
आज रहने दो
</poem>